कपड़ा मिल में काम करने वाले भारतीय ने किया अमेरिका में कमाल, आज सबसे अमीर परिवारों में है नाम

नई दिल्ली: भारतीय मूल के लोगों ने दुनिया के कई देशों में हर फील्ड में सफलता के झंडे गाड़े हैं। इन्हीं में से एक है वाटूमल परिवार। इसे अमेरिका के हवाई द्वीप के सबसे अमीर परिवारों में गिना जाता है। इसके बिजनस नींव जमनदास वाटूमल ने डाली थी जिनका जन

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नई दिल्ली: भारतीय मूल के लोगों ने दुनिया के कई देशों में हर फील्ड में सफलता के झंडे गाड़े हैं। इन्हीं में से एक है वाटूमल परिवार। इसे अमेरिका के हवाई द्वीप के सबसे अमीर परिवारों में गिना जाता है। इसके बिजनस नींव जमनदास वाटूमल ने डाली थी जिनका जन्म आजादी से पहले सिंध प्रांत के हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने हवाई द्वीप के होनोलूलू में 1915 में अपना पहला स्टोर खोला था जिसमें रेशम, हाथीदांत की बनी चीजें, पीतल के बर्तन और एशिया में बनी दूसरी चीजें बेची जाती थी। जमनदास वाटूमल भारत से हवाई द्वीप आने वाले दक्षिण एशिया के पहले व्यक्ति थे। आज इस परिवार का बिजनस गारमेंट बनाने से लेकर रियल एस्टेट तक फैला है। एक नजर वाटूमल परिवार की सफलता पर...
जमनदास का जन्म भारत की आजादी से पहले सिंध प्रांत के हैदराबाद में हुआ था। एक पिता का ईंटों का बिजनस था। परिवार पढ़ालिखा था लेकिन अमीर नहीं था। एक दुर्घटना में उनके पिता को लकवा हो गया था और उसके बाद जमनदास पैसा कमाने के लिए फिलीपींस चले गए। वहां उन्होंने कपड़ा मिलों में काम किया। 1909 में, उन्होंने अपने साथी धर्मदास के साथ मिलकर मनीला में अपना खुद का ट्रेडिंग बिजनस शुरू किया। लेकिन जब अमेरिका ने फिलीपींस पर कब्जा किया तो जमनदास और धर्मदास के बिजनस में गिरावट आ गई। इसकी वजह यह थी कि अमेरिका ने विदेशी कंपनियों के साथ संबंधों पर कुछ पाबंदियां लगा दी थीं।

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कैसे हुई शुरुआत

29 साल के जमनदास वाटूमल 1915 में अपने साथी धर्मदास के साथ होनोलूलू गए और वहां इंपोर्ट बिजनस पर आधारित पहली रिटेल शॉप खोली। इन दोनों ने होनोलूलू के होटल स्ट्रीट पर अपनी कंपनी को वाटूमल और धरमदास के नाम से रजिस्टर्ड किया। लेकिन एक साल बाद ही 1916 में धरमदाक की हैजा से मौत हो गई। इसके बाद जमनदास के भाई गोविंदराम ने होनोलूलू स्टोर को मैनेज किया जबकि वह खुद मनीला में अपने बिजनस संभालते थे।

गोविंदराम ने स्टोर का प्रबंधन संभालने के साथ ही इसका नाम बदलकर ईस्ट इंडिया स्टोर कर दिया। अगले कुछ साल में उन्होंने हवाई द्वीप और एशिया के कई हिस्सों में भी इसका विस्तार किया। साल 1937 में गोविंदराम ने कंपनी के मुख्यालय के लिए होनोलूलू के वाइकिकी वाटूमल बिल्डिंग का निर्माण किया। साल 1957 तक कंपनी का बिजनस कई सेक्टर में फैल गया। उसके पास 10 स्टोर के साथ-साथ एक अपार्टमेंट हाउस और कमर्शियल डेवलपमेंट्स भी थे। उनके स्टोर्स में पूर्वी देशों खासकर से आयात किया गया सामान बिकता था।

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हवाई फैशन का पर्याय

इस बीच 1930 के दशक में हवाई द्वीप अमीर पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन के रूप में उभरा और इसकी अलोहा शर्ट की डिमांड भी बढ़ने लगी। वाटूमल फैमिली ने इस मौके को हाथोंहाथ लिया। उनका स्टोर हवाई पैटर्न वाले डिजाइन रखने वाले पहले स्टोर्स में से एक था। इन डिजाइनों को सबसे पहले 1936 में गोविंदराम ने अपनी साली एल्सी जेन्सेन से बनवाया था। ये शर्ट इतनी लोकप्रिय थी कि वाटूमल के वाइकिकी स्टोर में अमेरिकी फिल्म स्टार लोरेटा यंग, जैक बेनी, लाना टर्नर और एडी एंडरसन ये शर्ट खरीदने आते थे। यह शर्ट एक तरह से हवाई फैशन का पर्याय बन गई थी।

वाटूमल ने जल्द ही रॉयल हवाईयन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी खरीद ली, जहां पहला मैचिंग फैमिली अलोहा वियर बनाया गया। इस सफलता के बावजूद जमनदास और गोविंदराम को अमेरिकी नागरिकता मिलने में लंबा समय लग गया। शुरुआत में उन्हें भेदभाव और कठिन आव्रजन कानूनों का सामना करना पड़ा। साल 1922 में, गोविंदराम ने एलेन जेन्सेन से शादी की। जेन्सेन अमेरिकी नागरिक थी लेकिन एक अप्रवासी से शादी करने के कारण उनकी नागरिका छिन गई। जेन्सन ने 1931 में कानून में सुधार करने और नागरिकता हासिल करने के लिए महिला मतदाताओं की लीग के साथ काम किया।

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रियल एस्टेट पर जोर

आखिरकार गोविंदराम 1946 में नागरिक बन गए। भारत के 1947 के भारत विभाजन के दौरान वाटूमल परिवार सिंध से मुंबई आ गया। जमनदास के बेटे गुलाब ने हवाई पहुंचकर बिजनस संभाला। साल 1955 में दोनों भाइयों के बीच बिजनस का बंटवारा हो गया। जमनदास और गुलाब के हिस्से में रिटेल बिजनस आया जबकि गोविंदराम के परिवार ने रियल एस्टेट संभाला। वाटूमल परिवार की अगली पीढ़ी का हवाई और उसके आसपास के इलाकों में बिजनस है। पिछले कुछ साल में परिवार ने रियल एस्टेट पर ध्यान केंद्रित किया है। आखिरी वाटूमल रिटेल स्टोर 2020 में बंद हो गया। वाटूमल प्रॉपर्टीज ने पिछले साल हवाई में 19,045 वर्ग मीटर का मार्केटप्लेस खरीदा था।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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